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इश्क़ वाली चाय

मार्केटिंग का काम है तो बाहर घूमना फिरना लगा ही रहता है।
अब बॉस ने किसी काम से राजस्थान के एक छोटे से जिले में भेजा था , जाने का मन तो नही था, लेकिन जाना जरूरी था।

कुछ ही घंटों का काम था, जो फटाफट किया और आगे का प्लान बनाने लगा।
लंबे सफर की वजह से शरीर टूट रहा है, तो पहले सोचा कि रात यहीं किसी होटल में रुक कर बिता लुंगा और फिर सुबह आराम से घर वापसी करूंगा। फिर दिमाग मे आया.. छोड़, कल आफिस तो जाना नही, घर को ही निकलता अब। कल सारा दिन घर पर आराम से रहेंगे...।

स्टेशन पर पता किया तो पता लगा ट्रेन रात को 3 बजे आएगी..
तो फटाफट मैने अपना बैग पैक किया और निकल गया स्टेशन की ओर....।

घर पहुंचने की इतनी जल्दी थी कि 1 घंटा पहले ही स्टेशन पर पहुंच गया, फिर सोचने लगा -
यार, रात के 2 बज रहे और ट्रेन के आने में अभी 1 घंटा बाकी है, क्या करूं, ये एक घंटा कैसे निकलेगा...।

'चलो, कुछ देर फेसबुक - व्हाटसएप्प चलाते हैं... 1 घंटा तो यूं ही चुटकियों में निकल जायेगा'..।

ये सब सोच मैने जेब से मोबाइल निकाला,लेकिन.....
हे राम! बुरी किस्मत - इसकी बैटरी भी खत्म होने को है, काश चलने से पहले 15-20 मिनट इसको चार्ज कर लेता तो अभी आराम से समय कट जाना था, लेकिन घर जाने की जल्दबाजी में ये भी भूल गया...
'अब क्या करें, इस छोटे से स्टेशन पर दूर दूर तक इंसान तो छोड़ो, एक कुत्ता भी दिखाई नही दे रहा.....।

चलो थोड़ा इधर उधर घूम लेता हूं, शायद कोई दिख जाए और समय बीत जाए।
जैसे जैसे आगे बढ़ रहा... अंधेरा उतना ही घना हो रहा था... आज तक जितनी भी हॉरर मूवीज देखी, सब दिमाग मे घूमने लगी...मैं सोचने लगा....
"वरदान बेटा, आज तो तू गया... बड़ी जल्दी थी घरवालों से मिलने की, किसी भूत - चुड़ैल से ना मिल लेना आज।”

तभी कुछ दूरी पर एक मद्धम सी रोशनी जलती दिखाई दी, मेरी आँखो में एक चमक सी आ गई, अपने सब डर पर किसी तरह से काबू पाया और एक नई उम्मीद के साथ.. चल पड़ा उस रोशनी की दिशा में....

वहां पहुंचा तो देखा वो एक चाय की टपरी थी,
वैसे तो मुझे चाय कुछ खास पसंद नही और अगर पीनी पड़ भी जाए तो उस समय कोई मजबूरी ही होगी... आज भी अपने मन को यही समझाया।
मजबूरी है, समय काटना है.. कोई नही, चाय ही पीते हैं...।

मैने वहां जाकर देखा तो एक मरियल सा व्यक्ति, उम्र यही कोई 60 वर्ष, मैले कुचैले कपड़े पहन... एक टूटी हुई कुर्सी पर बैठकर अपने छोटे से काउंटर पर सिर रख कर सोया हुआ है..।

मैने उसे उठाने के लिए एक आवाज लगाई -
'राम राम चाचा, चाय मिलेगी एक कप'??

मेरी आवाज सुन वो बुजुर्ग की निद्रा टूट गई और कहने लगे -
“राम राम बेटा,
चाय.. हां हां, चाय ही बेचने के लिए बैठा हूं मैं, बोलो कैसी चाय पिओगे?”

“अरे चाचा, जैसी मर्जी पिला दो, मुझे तो बस टाईम निकालना, ट्रेन के आने में अभी तकरीबन एक घंटा बाकी है, और इतनी देर अकेले बैठना मुश्किल लगता..”

“तो तुम चाय के शौकीन ना हो?” चायवाले ने हैरानी से पूछा..।

'अरे ना, मैं कहां चाय पीता... मैं तो लस्सी का शौकीन हूं'     
मैने जवाब दिया-।

चायवाला - “तभी तुम कैसी भी चाय मांग रहे, अगर चाय के शौकीन होते ना... तुम ऐसी बातें ना करते....”

मैं - “चाय की भी किस्में आती हैं क्या?”

और नही तो क्या - "कड़क चाय, दूध वाली चाय, अदरक वाली चाय, तुलसी वाली चाय, कुल्हड़ वाली चाय" और भी बहुत सी तरह की चाय आती है बेटा, और लोग चाय मूड के हिसाब से पीते हैं.....।”

मैं - “अरे माफ करो चाचा!! जैसी मर्जी दे दो, ऐसा करो अपनी पसंद की दे दो "...

चायवाला - “चलो ठीक, मैं तुम्हें इश्क़ वाली चाय देता हूँ...।”

मैं - “हैं,,,, इश्क़ वाली चाय??”

अंकल - “हां, इश्क़ वाली... चाय पीते ही चाय से इश्क़ हो जाएगा... हां।”

मैं - “ओ चाचा जी, मुझे चाय पीनी है। उससे आंख मटक्का नही करना।”

अंकल - “हा हा हा हा, मत करना.... लेकिन इश्क़ तो तुम करोगे, ये बात तय रही..!”

मैं भी मन ही मन सोचने लगा ( लो इतने बुरे दिन आ गए, अब चाय से इश्क़ होगा मुझे... लड़कियां तो जैसे मर ही गई सब।)

फिर जैसे ही उन्होने चाय बनाने के लिए पानी गर्म करना शुरु किया, मैं भी जिज्ञासावश वो सब प्रक्रिया देखने लगा कि आखिर क्या अलग चाय बनाते हैं वो और कैसे सिर्फ एक कप चाय से ही चाय से लगाव हो जाएगा

अब उन्होने पास पड़े ओखली और मूसल (जिसे हम कुंडी सोटा कहते हैं) को उठाया और उसमे अदरक कूटने लगे, फिर ऐसे ही लौंग, काली मिर्च, दालचीनी और एक दो चीजें और डाल कर उसको भी कूटने लगे।

और फिर इलायची डाल कर जब उबाल देने लगे... तो उसकी महक से एक अजब सा नशा छाने लगा..
अंकल कहने लगे -
“हां तो बेटा, खो गए ना इसकी भीनी भीनी महक में....।”

मैने कुछ नही कहा
फिर दूध डाल कर चाय को पूरा उबाल देना शुरु किया और 7-8 बार उबाल दिया तो मैने पूछा -

“चाचा, ये चाय को इतना उबाल क्यों देते हो??”

“बिटवा, चाय हो या रिश्ते... अगर उन में समय समय पर उबाल नही आएगा, तो भला इश्क़ का रंग गहरा कैसे होगा...!”

अब मैं फिर निरूत्तर हो कर बैठ गया और इंतजार करने लगा कि आखिर चाय कब आएगी...

इतने में चाचा ने कुल्हड़ में चाय डाल कर मुझे पकड़ा दी और बोले -
“अब पी के देखो और बताओ... सही कहा था ना मैने।”

लेकिन आपने चाय कुल्हड़ में क्यों डाली, कांच या प्लास्टिक के गिलास में क्यों नहीं??

वो कहने लगे - “देश की मिट्टी की महक भी तो आनी चाहिये ना...”

ये सुन मैने कुल्हड़ पकड़ा और चाय पीने लगा -
कि कुल्हड़ की मीठी खुशबू और इलायची की भीनी सी महक से एक अजीब सा नशा होने लगा, मानो चाय नही बल्कि भांग को पूरा घोट कर मुझे दिया गया हो

और उसी बीच चाय का पहला घूंट भरा तो वो मेरे गले से उतरने से पहले ही दिल में उतर गई,
पहली घूंट भरते ही सारा तनाव दूर हो गया , दिमाग एकदम शांत हो गया... ऐसा लग रहा था जैसे मैं स्वर्ग में बैठा हूं और सोमरस से अपना कंठ गिला कर रहा हूँ

मैने आंखें बंद कर के चाय की चुस्कीयां लेनी शुरु कर दी

चाय खत्म होते होते मेरा रोम रोम खिल गया, मन आनंदित हो उठा, मैने तो कभी कल्पना भी नही की थी कि चाय भी इस तरह की हो सकती है

“हां तो, क्या कह रहा था मैं, हो गया ना इश्क़??”

"अरे हां चाचा, आपने तो कमाल कर दिया, क्या गजब के आदमी हो आप, आपके तो पैर धोने को जी करता है"...

“हा हा, मेरे पैर फिर कभी धोना, अभी तुम्हारी ट्रेन का वक्त हो रहा है....।”

मैने समय देखा तो सच में ट्रेन के आने का वक्त हो गया था, मैने उन्हें उनकी चाय की कीमत अदा कर कुछ अतिरिक्त पैसे देने चाहे तो उन्होने मना कर दिया -
“बेटा, हम चायवाले हैं, जितना होता उतना ही लेते, ये बड़े होटल में पगार ले कर भी ज्यादा पैसे लेने वाला रिवाज हमारे यहां नही है, बस तुम जब भी आओ, मिल के जाना....।”

वो पहले शख्स थे जिनकी हर बात पर निरूत्तर हो रहा था मैं, मैने उन से चलने की आज्ञा मांगी और फिर कभी आने का वादा कर के चल दिया....

आज चायवाले अंकल के साथ बैठ कर....
ना सिर्फ बहुत कुछ सीखने को मिला....
बल्कि...  मुझे इश्क़ भी हो गया था......

हां, इश्क़..... चाय से इश्क़.....!!!!

समाप्त (वरदान जिंदल “सुगत”)


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8 Comments

Simran Bhagat

12-Mar-2022 06:49 PM

Nice👏👏

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Vardan Jindal "सुगत"

13-Mar-2022 04:23 PM

Thanks 😊❤️

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Puri story me jgh jgh comedy thus thus k bhra hai🤣🤣🤣 Wah ek ek shbd bahut soch smjkr likha hai apne👌🏻 mja a gya par Ankh mtkka ki jgh nain mtkka likhiye n jyada acha rhega😜🤭 Mai to khani ka nam dekhte hi khani ko kholne pr mjbur ho gyi. Aakhirkar Uncle bhi apke maje le hi liye😝 Uncle k pair dhone ka dil kr rha tha to dho lete n😝 thoda puny mil jata😁 isse baikunth n sahi swarg to mil hi jata🤣🤣 bahut achi khani thi pdhkr hme bhi ishq ho gya😍 chinta mt kriye ldko ka akal nh hua hai delhi me🤣🤣 bs is khani k hr ek shbd se ishq ho gya hai😍😍 pr sayad se लूंगा agr aise likha jata ho to theek kr lijiyega😇 aur kuch jgh purn viram chhod dijiye hai vaky pura kriye use lagakar.

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Vardan Jindal "सुगत"

12-Mar-2022 06:39 PM

जी आपके सुझाव और आपकी प्रतिक्रिया के लिए आपका हृदय से आभार

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Seema Priyadarshini sahay

07-Mar-2022 05:00 PM

बहुत खूबसूरत रचना

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Vardan Jindal "सुगत"

12-Mar-2022 06:40 PM

आभार महोदया जी

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